
देश की संपत्ति को औने पौने दामों में पूंजीपतियों को सुपुर्द करने की मोदी सरकार की नीति की कड़ी में सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल), गाजियाबाद को अपना नया शिकार बना लिया है। सीईएल की स्थापना 1974 में हुई। इसका उद्देश्य ‘भारत की राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों द्वारा विकसित स्वदेशी प्रौद्योगिकियों’ का व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल करना तय किया गया। यह चार प्रमुख क्षेत्रों – सौर ऊर्जा, रेलवे सिग्नलिंग, रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स और एकीकृत सुरक्षा और निगरानी में काम करता है। सीईएल ने दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों के विद्युतीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है – जहां निजी पूंजीपति नहीं जाना चाहते थे। इसके साथ ही यहां फेज कंट्रोल मॉड्यूल (पीसीएम) जैसे परिष्कृत उत्पादों का उत्पादन भी किया जाता है जो मिसाइल सिस्टम में उपयोग किया जाता है। भारत की सुरक्षा के लिए यह रणनीतिक महत्व का है।
एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की बात करते हैं – जो उनके कई जुमले में एक और जुमला है। क्योंकि उनकी सरकार सौर ऊर्जा में नवाचार और निर्माण के लिए जाने जाने वाले पीएसयू, जो लाभ कमाने वाली पीएसयू है, उसको बेचने का फैसला कर लिया है। संयुक्त कर्मचारी संगठन (सीईएल में सभी ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच) पहले ही संदेह जताते हुए कहा है कि सीईएल की बिक्री सिर्फ 210 करोड़ रुपए में किया जा रहा है, जबकि संपत्ति का एक स्वतंत्र मूल्यांकन 957 करोड़ रुपए है। सीईएल की जमीन मात्र की कीमत गाजियाबाद के सर्किल रेट के हिसाब से ही 680 करोड़ रुपए है। इसके अलावा सीईएल पिछले आठ साल से मुनाफा कमा रहा था। 2020-21 में लाभ चालू वित्त वर्ष के लिए 23 करोड़ रुपए है और इसके साथ ही 1500 करोड़ रुपए का ऑर्डर मिल चुका है। संयुक्त कर्मचारी मंच ने नंदल फाइनेंस और लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड, जिसने टेंडर जीता था और मेसर्स जेपीएम इंडस्ट्रीज जो कि अन्य अकेली एंट्री थी, के बीच टेंडर में कार्टेल फॉर्मेशन को भी सामने लाया है। जो गैर कानूनी है। पीआईबी अपने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दावा कर रही है कि उसने व्यापक प्रक्रिया के जरिए यह डील किया है जो पूरी तरह से सत्य से बहुत दूर है। 1500 से अधिक कर्मचारियों वाले संयुक्त मंच ने इस संदर्भ में अपनी चिंता जाहिर की है।
सीपीआई(एम) दिल्ली राज्य कमेटी मोदी सरकार के इस देशविरोधी, भ्रष्ट डील के खिलाफ सीईएल कार्यकर्ताओं की मजबूत संयुक्त लड़ाई को सलाम करती है। वर्तमान आरएसएस-भाजपा सरकार के ‘आत्मनिर्भर’ और ‘स्वदेशी’ के नारों को जैसे किसानों ने बेनकाब करने का काम किया, अब मजदूरों की बारी है। सीपीआई(एम) सीईएल के विनिवेश घोटाले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए निष्पक्ष जांच की मांग करती है। सीपीआई(एम) आगाह करती है कि सरकार लाभ कमाने वाले रणनीतिक क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम के विनिवेश से बाज आए।
के एम तिवारी
सचिव