
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) दिल्ली के कार्यकर्ताओं ने पेट्रोल, डीजल और खाद्य तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के खिलाफ तथा स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट बढ़ाने, 7500 रुपये प्रति माह आर्थिक सहायता देने, राशन किट में दाल, तेल, चीनी, आदि शामिल करने की मांग को लेकर राज्यभर में प्रदर्शन किया।

सीपीआई(एम) दिल्ली के राज्य सचिव के एम तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार देश की ऐसी पहली सरकार है जो कोरोना महामारी में भी जनता को राहत देने की वजह लूटने का काम कर रही है।
2014 में बढ़ती महंगाई को लेकर देश भर की आम जनता परेशान और त्रस्त थी। ऐसे में भाजपा ने ‘अबकी बार मोदी सरकार’, ‘अच्छे दिन आएंगे’ और ‘हम आएंगे तो 100 दिन में महंगाई कम कर देंगे’ जैसे नारों को आमजन के बीच उछाला। भाजपा इन्हीं लोकलुभावन नारों के सहारे केंद्र में सत्ता में काबिज हुई। किंतु सत्ता में आने के बाद महंगाई कम करना तो दूर उल्टे कारपोरेट घरानों को ही फायदा पहुंचाया जा रहा है।


माकपा के सचिव मंडल सदस्य अनुराग सक्सेना और आशा शर्मा ने कहा कि कमरतोड़ मंहगाई के कारण गरीबों का गुजारा व जीवन निर्वाह करना मुश्किल हो गया है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में की गई वृद्धि को वापस लेने की मांग की। माकपा नेताओं ने आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें लगातार घटी हैं, लेकिन केंद्र की भाजपा नीत सरकार इसका लाभ उपभोक्ताओं को नहीं दे रही है। सरकार ने पिछले सात साल में पेट्रोल व डीजल पर करों में बार-बार भारी बढ़ोतरी करके पेट्रोल व डीजल की कीमतों को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया है। इस सरकार की गलत नीतियों के कारण देश के कई हिस्सों में पेट्रोल की कीमतें बीते दिन 100 रुपये प्रति लीटर का आंकड़ा पार कर चुकी हैं और डीजल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर होने के कगार पर हैं।

सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है। महंगाई पर काबू पाने में केंद्र सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी बंद से बदतर बनी हुई है। केंद्र में भर्तियों पर रोक लगाकर लाखों रिक्त पड़े पद समाप्त कर दिए गए हैं। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र रेल, बैंक, बीमा, हवाई अड्डों का तेजी के साथ निजीकरण किया जा रहा है। रोजगार सृजन ठप है। नई रोजगार सृजित करने की बजाए रोजगार का अवसर कम किया जा रहा है। इजारेदार पूंजी व उद्योगपतियों के हित में केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है। गरीबों, मजदूरों, किसानों, युवाओं की समस्याओं से केंद्र सरकार को कोई लेना-देना नहीं है।




कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते लोगों का जीवन-यापन करने की स्थिति बहुत खराब है। सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत कम हैं। निजी अस्पतालों में मनमानी लूट मची है। लोगों के सामने रोज़ी-रोटी का भीषण संकट बना हुआ है। इसलिए सीपीआई(एम) मांग करती है कि सभी ज़रूरतमंद व्यक्तियों को कम से कम दस किलो अनाज के साथ खाद्य तेल, दाल, चीनी, मसालों और चाय आदि का भोजन किट निःशुल्क उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ ही मोदी सरकार को आयकर भुगतान वर्ग में नहीं आने वाले सभी परिवारों को छह महीने के लिए प्रति माह ₹ 7,500 का प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण करे।
जारीकर्ता
के. एम. तिवारी
राज्य सचिव, सीपीआई एम दिल्ली